लौट के ना वहाँ से कोई इस पार आए ,
पर इस दिवाली पे आप बार बार आए …
वो देरी से उठने पे मीठे उलाहने ,
हर दस्तूर के हमको समझाना माने ,
स्मृतियों की पालकी सपनों के कहार लाये ,
इस दिवाली पे आप बार बार आए
वो मुहूरत में देरी पे जल्दी मचाना ,
वो रूठे हुओं को मनाना हँसाना ,
कितने भटके हुओं को उबार लाये
इस दिवाली पे आप बार बार आए ।
वो बढ़ बढ़ के सबका पटाखे दिखाना
वो बहुओं का दिन भर यूँ खाने बनाना,
अब किसी को भी क्यूँ वो दुलार आए,
इस दिवाली पे आप बार बार आए ।
वो भजनों की वाणी पे ध्यानस्थ होना,
वो डिंगल के दोहों का कंठस्थ होना ,
कितनी बिगड़ी हुई बातें सुधार लाये,
इस दिवाली पे आप बार बार आए !