पंछियों की एक कतार,
क्षितिज से उभरी,
क्षितिज में खो गई
बस एक पल में चित्त की
सारी मलिनता धो गई
Featured Poetry Omendra Ratnu पंछियों की एक कतार
पंछियों की एक कतार,
क्षितिज से उभरी,
क्षितिज में खो गई
बस एक पल में चित्त की
सारी मलिनता धो गई
Poetry by Omendra Ratnu
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