सब लुट गया तो क्या, तू अब भी है,
अँधेरी रातों में तेरी महक अब भी है !
टूटती नहीं ये खुमारी क्या करें,
वजूद में मेरे घुली मिली, तू अब भी है !
जानता हूँ खूब नज़र फिर गयी तेरी,
दिल की तन्हाईयों में मगर , तू अब भी है !
तेरे होने, ना होने से अब फ़र्क नहीं कोई,
इस आशिकी के जुनून में ,तू अब भी है !
दौर-ए-हिज्र में हालांकि हुए घायल,
एहसास-ए-शुक्रमंदी में, तू अब भी है !
तिजारत की दुनिया रखे हिसाब तेरा,
इश्क में आज़ाद तू तब भी थी , तू अब भी है